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    पा य म नमाण स म त अ य ोफेसर (डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान कोटा खलुा व व व यालय, कोटा

    सम वयक/ सद य वषय सम वयक ोफेसर (डॉ.) अनाम जैतल

    आचाय, राजनी तक व ान वभाग वधमान महवीर खलुा व व व यालय, कोटा

    सद य 1. ो. (डॉ.) आर. पी. जोशी

    आचाय, राजनी त व ान वभाग एम.डी.एस व व व यालय, अजमेर

    2. ो. (डॉ.) बी.एस. चतलंगी आचाय, लोक शासन जे.एन.वी व व व यालय, जोधपरु

    3. ो. (डॉ.) पी.सी.माथुर परामशदाता, लोक शासन वधमान महवीर खलुा व व व यालय, कोटा

    4. ो. (डॉ.) संगीता शमा आचाय, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    5. ो. (डॉ.) आर.एम. ख डेलवाल आचाय एव ंअ य , लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    6. ो. (डॉ) एस.सी.गोयल आचाय, लोक शासन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    स पादन एवं पाठ लेखन स पादक

    डॉ. द पक भटनागर सह आचाय,लो. . व.

    रस थान व व व यालय, जयपरु

    लेखक 1. डॉ. रमेश रोडा

    सेवा नवतृ आचाय, लोक काशन वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु डॉ. गीता चतुवद या याता, लोक शासन वभाग राज थान महा व यालय, जयपरु

    1,8,12,14 4. डॉ. वा त गोयल या याता, लोक ाशन वभाग टैनी मेमो रयल पी.जी. कॉलेज, जयपरु

    5. डॉ. मीन ी वजय या याता, लोक शासन वभाग राजक य महा व यालय, कोटा

    7,13,15

    2. डॉ. के. जी. माहवार या याता, लोक शासन वभाग राजक य मह व यालय, कोटा

    3,4,5,6 6. डॉ. वजय कारण सहं या याता,लोक शासन वभागराजक य महा व यालय, कोटा

    11,17

    3. डॉ. नमला गु ता या याता, ओके शासन वभाग जांक देवी बजाज क या महा व यालय, कोटा

    14,16 9,10

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    अकाद मक ए म शास नक यव था

    ो. (डॉ.) नरेश दाधीच कुलप त

    वधमान महावीर खलुा व व व यलय

    ो.(डॉ.) एम. के. घड़ो लया नदेशक (अकाद मक)

    सकंाय वभाग

    योगे गोयल भार

    पा य सामा ी उ पादनएव ं वतरण वभाग

    पा य म उ पादन योगे गोयल

    सहायक उ पादन अ धकार वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    उ पादन : मई, 2012 ISBN – 13/978-81-8496-028-0 सवा धकार सरु त : इस सामा ी के कसी भी अंश क वधमान महावीर खलुा व व व यलय कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी भी

    प म ‘ म मया ाफ ’ (च मु ण) के वारा या अ यथा पनुः ततु करने क अनुम त नह ं है। कुलस चव, व.म.ख.ु व व व यालय, कोटा वारा वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा के लए मु त एव ं का शत।

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    PA-04

    वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    अनु म णका

    भारत म शासन इकाई सं. इकाई का नाम पृ ठ सं या 1. भारतीय राजनी तक – शास नक यव था म रा य 7—30 2. राज थान का रा य शासन: सामा य वशषेताए ँ 31—43 3. रा यपाल का पद 44—64 4. मु यमं ी का पद तथा मं प रष 65—81 5. रा य स चवालय 82—98 6. मु य स चव : भू मका एव ंमह व 99—115 7. गहृ वभाग – सगंठन, काय – भू मका तथा मह व 116—126 8. वत वभाग – सगंठन, काय – भू मका एवं मह व 127—140 9. राज व म डल: सगंठन, काय–भू मका तथा मह व 141—149 10. कृ ष नदेशालय सगंठन, काय – भू मका तथा मह व 150—157 11. उ च श ा नदेशालय : शास नक संगठन, काय शि तय तथा मह व 158—174 12. रा य स वल सेवाओ मे भत तथा राज थान लोक सेवा आयोग का सगंठन एव ं

    याशीलता 175—196

    13. श ण यव था : एच सी एम र पा के वशेष संदभ म 197—214 14. लोकायु त 215—223 15. स भागीय आयु त 224—233 16. िजला कले टर (िजलाधीश) 234—250 17. िजला तर पर राज व शासन (एस.डी.ओ. तहसीलदार तथा पटवार ) 251—266

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    इकाई – 1 भारतीय राजनी तक – शास नक यव था म रा य

    इकाई क परेखा 1.0 उ े य 1.1 तावना 1.2 वाधीन भारत म रा य का थान 1.3 भारतीय संघ म रा य क ि थ त 1.4 के व रा य म वधायी स ब ध 1.5 के रा य म शास नक स ब ध

    1.5.1 रा यपाल क नयिु त एव ं वमुि त 1.5.2 के वारा रा य को नदश देने क यव था 1.5.3 के वारा रा य के काय को सीधे हण करना 1.5.4 संघीय काय रा य को स पना 1.5.5 अ खल भारतीय शास नक सेवाएं 1.5.6 अ तरा यीय प रषद 1.5.7 के य वकास काय एव ंअनदुान 1.5.8 नवाचन आयोग

    1.6 के व रा य म व तीय संबधं 1.7 के –रा य स ब ध एव ं नयोजन 1.8 के व रा य के म य या यक स ब ध 1.9 के –रा य स ब ध: संवधैा नक संशोधन का संदभ 1.10 संघ–रा य स ब ध : टकराव के मु े1.11 संघ–रा य स ब धो पर पनु वचार 1.12 इकाई साराशं 1.13 अ यास न 1.14 संदभ थ सचूी

    1.0 उ े य इस इकाई को पढने के उपरा त आप समझ सकगे –

    भारतीय शास नक राजनी तक संदभ म रा य क ि थ त – रा य थ त क वेशे षक संवधैा नक यव थाएं; भारत म के –रा य स ब ध के बहु ल आयाम; के –रा य संब ध म टकराव के मुख मुददे; तथा

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    के –रा य संब ध पर पनु वचार का सकल औ च य

    1.1 तावना पराधीन भारत देशी रयासत तथा टश ा त म बँटा हुआ था। संवधैा नक वकास के व भ न चरण म तथा वतं ता आ दोलन के अ तगत राजनै तक सधुार के मा यम से ा त ने भी इकाइय के प म पहचान बनानी ार भ कर द तथा अ धका धक वाय तता क ओर बढ़ने लगे। 1861 के सरकार अ ध नयम से ह इस यव था का उदय हुआ, िजसे ो.एम.वी. पायल “बीसवी ं सद क भारतीय यव था पकाओ का ारं भक राजप ” मानत ेह। 1892 के अ ध नयम के वारा बगंाल, ब बई, म ास तथा उ तर–पि चमी ा त क वधायी प रषद का व तार हुआ। ले कन ा त के स मानपणू अि त व ा त करने क दशा म 1909 के भारत सरकार

    अ ध नयम को मह वपणू माना जा सकता है। तब न केवल ा तीय वधायी प रषद के आकार म क गई बि क अ धकार को भी व ततृ कया गया। ा तीय प रषद म गरै सरकार बहु मत क यव था क गई, ''गरै सरकार बहु मत'' का ता पय '' नवा चत बहु मत'' से नह ंथा। इन प रषद म भारतीय का सि म लत होना सवा धक मह वपणू था। ा त के स मानजनक अि त व क दशा म 1919 के भारत सरकार अ ध नयम को दसूरा मह वपणू मोड़ माना जा सकता है। हु स अ ध नयम के वारा ा तीय सरकार को आ शक उ तरदायी शासन स पा गया था। साथ ह ा तीय वधान प रषद के आकार म वृ भी क गई थी तथा नवा चत सद य क सं या म वृ करके शासन को अ धक लोकतां क बनाया गया। पहल बार के य तथा ा तीय सरकार के बीच शि त का वभाजन कया गया, अथात ्आधु नक वाय त रा य क शु आत इसी ावधान के फल व प हु ई। ा त को कुछ े म वाय तता व अ धकार दान कये

    गये। के के पास वदेश से स बि धत वषय, सेना, डाक–तार आ द वषय थे तो ा त के पास श ा, वा य, च क सा, कृ ष जैसे थानीय मह व के वषय रखे

    गये, क त ु ा त म वधै शासन क यव था क गई, या न कु वषय ह लोक य मं य के पास थे, शेष शि तया ँगवनर व उसक कायका रणी के पास रह ं। भारत के ा त बगंाल, बहार, म य ा त, म ास, ब बई, संयु त ा त तथा उ तर–पि चमी

    सीमा ा त म इस प त को लाग ू कया गया। ा तीय सरकार को शि तया ँयायोिजत शि तय के प म मल ,ं इससे सरकार का व प एका मक ह रहा।

    1935 म संवधैा नक सुधार दोषपणू नी त एव ंअ यावहा रक या वयन के कारण यह प त सफल नह ं हु ई। 1935 के संवधैा नक सुधार के मा यम से अ खल भारतीय संघ बनाया गया, िजसम 11 टश ा त व छ: क म नर के े थे, जो देशी रयासत को मलकर बने थे, अथात ् पहल बार देश का व प एका मक से संघा मक वीकार कया गया। इस

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    स ा त को यावहा रक प देत े हु ए ा त को अ धक शि तशाल व उ तरदायी बनाया गया तथा वधै शासन समा त करके ा त को वशा सत संवधैा नक आधार दान कया गया।

    शासन को लोक य मं य के नयं ण म स पा जाना उ तरदायी शासन का प ह कहा जा सकता है। गवनर से अपे ा क गई थी क वह मं य क सलाह पर शासन करगे। 1935 के के अ तगत ह के य तथा ा तीय सरकार के े को प ट कया गया तथा तीन सू चय क गई–के य, ा तीय तथा समवत सूची। उ लेखनीय है क यह यव था आगे चलकर भारतीय संघा मक का आधार बनी। अ खल भारतीय मह व के 59 वषय यथा–सेना, वदेश, डाक–तार आ द सघंीय सूची म गये िजन पर काननू बनाने का अ धकार संघीय य थ पका का था। थानीय मह व के 54 वषय यथा– श ा, व य, याय, शां त जैसे वषय ा तीय सरकार के अ धकार े म थे, अथात ्इन वषय पर वधान बनाने के ा तीय यव था पकाय वतं थीं। समवत सूची के 36 वषय थे िजन पर के य तथा ा तीय दोन यव था पकाए काननू बना सकती थी,ं ले कन टकराव क ि थ त म संघीय यव था पका का काननू ह मा य होता। अव श ट शि तया ँ गवनर जनरल को दान क ग । भावी या वयन के अभाव म 1935 के अ ध नयम क मूल भावना म प र णत नह ंहो पाई।

    1.2 वाधीन भारत म रा य का थान वतं भारत म शासन के व प पर वचार करत ेसमय सं वधान नमाताओं के सम प ट था क राजनी तक वरासत, आ थक ि थ त तथा सामािजक–सां कृ तक

    वै व यपणू देश के लए संघा मक यव था ह उ चत होगी। अत: व वधता को एकता के सू म बांधने का एक तु य यास कया गया। वतं ता के तुर त–त प चात ्त काल न गहृमं ी एव ंउप धानमं ी सरदार व लभ भाई पटेल तथा उनके गहृ स चव ी वी.पी मेनन ने संघा मक पनुरचना का अ त मह वपणू काय स पा दत कया। उनके

    भागीरथ यास के प रणाम व प चार ेणी के रा य अि त व म आये। वतं भारत म ा त के थान पर रा य श द का योग कया गया। थम ेणी (ए

    सूची) म असम, बहार, ब बई, म य देश, म ास, उड़ीसा, संयु त ा त, पि चम बगंाल व पजंाब सि म लत कये गये। कुछ समय बाद इस सूची म आं देश को भी जोड़ दया गया। बी ेणी के अ तगत हैदराबाद, ज म ुव क मीर, म य भारत, मैसरू, प टयाला तथा पवू पजंाब रा य संघ, राज थान, सौरा , व य देश तथा ावनकोर–कोचीन रा य को शा मल कया गया। ऐ तहा सक कारण से ज म ुव क मीर

    को इस ेणी म होते हु ए भी व श ट रा य का दजा ा त हुआ। सी ेणी म अजमेर, भोपाल, कुग, द ल , हमाचल देश, क छ, म णपरु, परुा को रखा गया तथा डी ेणी म अ डमान तथा नकोबार वीप समूह आये। इस कार एक करण योजना के

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    वारा भारत के भौगो लक, राजनै तक व आ थक एकता के वां छत व न को साकार कया गया। इसे एक र तह न ाि त क सं ा द गई। शन:ै–शन:ै यह अनभुव कया गया क रा य के व प म प रवतन एव ंपनुगठन क आव यकता है। अत: दस बर, 1953 म भारत सरकार वारा रा य पनुगठन आयोग क , ी फजल अल क अ य ता म, थापना क गई। आयोग के अ य दो सद य थे– ी के.एम. पि नकर तथा प.ं दयनाथ कंुज । आयोग वारा 1955 म दये गये तवेदन ने रा य को समान दजा देने तथा राज मुख के पद को समा त करने का

    सुझाव दया। त काल न 27 रा य के थान पर 16 रा य व तीन के शा सत सीमा े क थापना का सुझाव दया गया। जुलाई 1956 म आयोग के तवेदन म क तपय संसोधन करके रा य पनुगठन अ ध नयम भारतीय संसद वारा पा रत कया गया, िजसके अ तगत 14 रा य व 5 के शा सत देश बनाये गये। 1953 म आं रा य का गठन कया गया, िजसका नाम 1956 मे आ देश कर दया गया। 1953 म केरल और मैसरू रा य का गठन कया गया। मैसरू रा य का नाम 1973 म बदलकर कनाटक कया गया। 1960 म ब बई रा य का वभाजन कर महारा व गजुरात रा य था पत कये गये। 1966 म नागालै ड को अलग रा य का दजा दया गया। 1966 म ह पजंाब के पजंाबी व ह द भाषा के आधार पर दो भाग कये गये–पजंाब व ह रयाणा। हमाचल देश को रा य का दजा 1971 म दया गया। साथ ह 1971 म म णपरु व परुा को भी रा य का दजा दया गया। 1975 म सि कम, 1986 म मजोरम व अ णाचल देश को अलग रा य का दजा दया गया। 1987 म गोवा को भारत के प चीसव रा य का गौरव ा त हुआ। 1991 म सं वधान के 69व संशोधन के वारा द ल को रा य राजधानी े का वशेष दजा दया गया था। नव बर, 2000 म तीन नये रा य का नमाण हुआ–छ तीसगढ़, झारखंड एव ंउ तरांचल। अब भारत म 28 रा य व 6 के शा सत े ह। इन इकाइय क सूची इस कार है: रा य 1. अराणाचल देश 11. त मलनाडु 21. राज थान 2. आ देश 12. नागालै ड 22. ह रयाणा 3. असम 13. पजंाब 23. हमाचल देश 4. उ तर देश 14. पि चम बगंाल 24. सि कम 5. उड़ीसा 15. बहार 25. परुा 6. कनाटक 16. महारा 26. छ तीसगढ़ 7. केरल 17. म णपरु 27. झारखंड 8. गजुरात 18. म य देश 28. उ तरांचल 9. गोवा 19. मजोरम

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    10. ज मु व क मीर 20. मेघालय के शा सत देश 1. अ डमान– नकोबार वीप समूह 3. दमन व द व 5 ल वीप 2. च डीगढ़ 4 दादरा व नागर हवेल 6 पाि डचेर वशेष दजा (रा य राजधानी े ) द ल वतं भारत म राज थान क ि थ त

    रा य के वतमान व प म आने क वकास– या ा पर ि ट डालकर यह जानना उ चत, होगा क वतं भारत म राज थान ने अपना वतमान व प कैसे हण कया। राज थान म ल बे समय तक देशी राजाओं को रा य रहा। टश भारत म भी ये रा य अं ेजी सरकार से अ धकार ा त करत े रहे। वतं भारत म राज थान को वतमान व प म आने म कई चरण क या ा करनी पड़ी, तब कह ं जाकर 1956 म राज थान वतमान आकार को हण कर पाया। 27 फरवर , 1948 को अलवर, भरतपरु, धौलपरु व करौल का वलय कया गया, ऑर उसे क हैयालाल मा णकलाल मुशंी क सलाह पर “म य संघ” कहा गया। दसूरा चरण 25 माच 1948 को परूा हुआ िजसके अ तगत कोटा, बूदं , झालावाड़, बाँसवाड़ा, डूगंरपरु, तापगढ़. कशनगढ़, ट क और शाहपरुा क रयाशत को मलाकर “राज थान संघ” बनाया गया। ततृीय चरण म उदयपरु रयासत का वलय कया गया, िजसके फल व प 18 अ ेल, 1948 को “संयु त राज थान” का नमाण हुआ। ले कन जयपरु, जोधपरु, बीकानेर, जैसलमेर और सरोह पाँच रयासत ऐसी थी ंजो अभी तक अपना अलग अि त व बनाये हु ए थीं। वल नीकरण के अगले चरण म “वहृद राज थान'' म जयपरु, बीकानेर और जैसलमेर क रयासत सि म लत क ग । 30 माच, 1949 को जयपरु के दरबार म आयोिजत समारोह म सरदार पटेल ने राज थान रा य का उदघाटन कया। म य संघ अलग अि त व म तो आ गया था, पर अब तक वतं था तथा “वहृद राज थान” का अंग नह ंबना था। धौलपरु तथा भरतपरु के सामने अ नि चतता क ि थ त थी क वे उ तर देश राज थान म से कसके साथ सि म लत हो। काफ यास के प चात ् 15 मई, 1949 को म य संघ राज थान अंग बन गया। यह वल नीकरण या का पचंम चरण था। सरोह के वलय के न पर भी मतभेद था। राज थानी तथा गजुराती नेता नणायक ि थ त म नह ंपहु ँच पा रहे थे। अतत: सरोह का वभाजन कया गया। आब ूतथा दलवाड़ा को ब बई ा त को सौपा गया, शेष भाग का राज थान के साथ 7 फरवर , 1950 को वलय कर दया गया। इस नणय के व राज थानवा सय म यापक त या हु ई, फलत: छह वष बाद 1956 म जब रा य का पनुगठन हुआ तो ये

    ह से राज थान म मला दये गये। एक करण के अं तम चरण म 1 नव बर, 1956

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    को अजमेर का, जो अब तक “सी” ेणी का रा य था, राज थान म वलय कर दया गया तथा राज थान ने अपना वतमान आकार हण कया। 19 देशी रयासत व 3 चीफ शप के े ने एकत से मु त होकर लोकतं के वतं वातावरण म व छ दता क खलु साँस ल । इस कार राज थान भारत के संघ क अ य रा य

    इकाइय क भाँ त एक इकाई बन गया।

    1.3 भारतीय संघ म रा य क ि थ त भारतीय संघ म रा य क ि थ त व श ट है। व व म संघीय यव था के व भ न तमान से यह कसी न कसी प म भ न है। भारतीय संघ व भ न रा य के

    म य समझौत ेका प रणाम नह ं है। यहा ँरा य या रा य के समूह को यह अ धकार नह ं है क संघ से अलग हो सके, न ह रा य अपनी इ छा से अपनी सीमाओं म प रवतन ह कर सकत ेह। इस कार यह अमर क संघीय यव था से भ न है। संघ नमाण का दसूरा मा यम के य सरकार वारा अपनी इकाइय को अ धकतम वाय तता देना है। इस यव था म के तथा रा य म प ट शि तय का बटंवारा

    होता है। के सूची के वषया के य सरकार के अ धकार े म तथा रा य सचूी के वषय रा य के अ धकार े म होत े ह। शेष वषय के के अधीन होत े ह। यह यव था कनाडा म भी है। भारतीय संघ म ि थ त कुछ इसी कार क है, पर जो यव था इसे व श ट बनाती है वह है समवत सूची क यव था। ये वे वषय ह िजन पर के तथा रा य दोन ह काननू बना सकत े ह। डॉ. बी. आर. अ बेडकर ने भारतीय संघवाद को प ट करत े हु ए कहा था– “यह के म के य तथा रा य म रा य सरकार क थापना कर शासन के दो तर था पत करता है, िजनम से येक अपने े म सं वधान वारा नयत सव च शि त का उपभोग करत ेह।'' इसी व श ट यव था के कारण कुछ व वान भारतीय यव था को संघा मक, कुछ अ संघा मक तथा कुछ एका मक मानत ेह। डॉ. अ बेडकर ने इसे संघीय सं वधान के प म देखा िजसम के म संघीय सरकार तथा उसके चार ओर प र ध म रा य

    सरकार ह। स सांसद एव ं सं वधान व ी के. नथानम ने भी सं वधान को संघा मक माना िजसक संघा मकता यायपा लका वारा सुर त है, िजसे संवधैा नक संशोधन के बना भंग नह ं कया जा सकता है। ो. पॉल एच. एपलबी ने भारतीय संघ को अ य धक संघा मक माना है। ो. एले जे ो वच भी इसे ऐसा संघ मानते ह िजसम स भतुा शि त म के तथा रा य सरकार साझेदार होती ह। उपयु त अवधारणा के वपर त कुछ भारतीय तथा वदेशी दोन ह कार के व वान इसे एका मक अथवा एका मक क ओर झुका हुआ सं वधान मानत े ह। ो. पी.ट . चाको, ो. केसी. येहेयर तथा सर आइवर जे न ं स ऐसे ह व वान ह। पी.ट . चाको इसे ऐसी संघीय एका मक यव था मानत े ह िजसम घटक इकाइया ँसदैव के पर आ त रहगी। के.सी. हेयर भारतीय संघ म एका मकता के ल ण देखत ेहु ए मानत ेह क इसम गौण प से कुछ ल ण संघा मक यव था के ह। आइवर जे न ं स भारतीय

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    संघ का व लेषण करत े हु ए प ट करत े ह क इसम के यकरण क ती विृ त पायी जाती है। जब तक एक ह राजनै तक दल (कां ेस) का के एव रा य म वच व रहा तब तक संघा मक यव था क वकृ तय के बारे म ववाद नह ं छड़ा। क त ु1967 के आम चुनाव के बाद राजनी तक यव था म एक दल य आ धप य क समाि त के प चात ्रा य को अ धक अ धकार देने क माँग जोर पकड़ने लगी। 1971 म कुछ मु यमं य ने रा य को और अ धक वाय तता देने के लए सं वधान म सशंोधन क मांग क , अ यथा बां लादेश क घटना क पनुराविृ त क आशंका तक य त क गई। इस स ब ध म उठे ववाद क या या से पवू ये वांछनीय होगा क भारत म के व रा य के पार प रक सब ध के मुख आयाम का सं त ववेचन कया जाए।

    1.4 के व रा य म वधायी स ब ध संघीय यव था क आव यकता के अनु प भारत म प ट प से के य व रा य सूची के वषय को ेणीब कया गया है। इन वषय पर दोन अपने– अपने े म काननू बनाने के लए वतं ह समवत सूची के वषय पर के तथा रा य दोन काननू बना सकत ेह। टकराव क ि थ त म के को ाथ मकता देने क यव था क गई है। सं वधान के भाग 11 के थम अ याय म अनु छेद 245 से 255 तक संघ व के के वधायी सब ध का उ लेख है। संघीय सचूी म मलू प से रा य मह व के 97 वषय सि म लत कए गये थे, यथा–देश क सुर ा, यु व शां त, वदेशी मामले. डाक–तार, रेल, मु ा, बक, अ तरा य यापार, जनगणना, वदेशी ऋण इ या द। सं वधान के 42वे संशोधन के बाद अब संघीय सूची म एक नया भाग 2ए जोड़ा गया है िजसके अनसुार संघ के कसी सश बल को कसी रा य म असै नक शासन क सहायता के लए लगाना व उसक शि तया ँ नि चत करना है। इस सूची के वषय सं या मक व गणुा मक दोन ह ि ट से मह वपणू ह। रा य सूची म 66 वषय थानीय मह व के ह। इस सूची का उ े य रा य को थानीय वषयो म अ धका धक वाय तता दान करना है। इस सूची के कुछ वषय ह–श ा, वा य, पु लस,, पशुपालन, सचंाई, रा य के अ दर यापार व वा ण य इ या द। सं वधान के 42वे संशोधन के बाद रा य के कुछ वषय समवत सूची म शा मल कर लये गये ह। अब रा य सूची म 61 वषय ह। श ा भी समवत सचूी शा मल क गई है। समवत सूची म वे वषय शा मल थे, िजनका थानीय मह व तो है ह पर रा य तर पर भी इन वषय पर समान काननू क आव यकता समझी जाती है। इनम क तपय वषय ह– ववाह, तलाक, मक सम याएँ, कारखाने, सामािजक सुर ा, आ थक व सामािजक नयोजन, समाचार–प इ या द। सं वधान के 42वे (संशोधन ारा पाँच वषय– श ा, वन, व य पशुओं और प य क र ा, बांट और

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    माप व या यक ब ध को समवत सूची म शा मल कर लया गया है। अब इसी सूची म 52 वषय ह। के को तुलना मक प से अ धक मह व व शि त दान करने क ि ट से शि तय के स ब ध मे अ धकार संघीय संसद को दान कये गये ह। संयु त रा य अमे रका तथा म ये शि तया ँसंघ क इकाइय के पास ह। अमे रका म कसी भी ि थ त म के य कां से (ससंद) रा यो के अ धकार े म वेश नह ंकर सकती। कनाडा म संसद यायालय वारा नधा रत रा य मह व के वषय म सरकार ा त के े म वेश कर सकती है। भारत म भी कुछ वशेष प रि थ तय म के य ससंद रा य

    सूची दये गये वषय पर काननू बना सकती है। सं वधान के अनु छेद 249 के अनसुार रा यसभा य द दो– तहाई बहु मत से ताव पा रत कर दे क एक व श ट वषय रा य मह व का हो गया है, तो संसद को यह अ धकार मल है क रा य सूची म अ त न हत उस वषय पर काननू बना सके। यहाँ एक बात प ट कर देना आव यक है क इस के लए आपात ि थ त क घोषणा क आव यकता नह ं है। स बि धत वषय के लए रा य मह व का होना पया त है। संसद वारा पा रत ऐसा काननू एक वष तक भावी रहता है, रा यसभा ताव पा रत करके उसक एक वष और बढ़ा सकती है। ताव क अव ध समा त होने के छ: माह बाद काननू न भावी हो जाता है। यह उ लेखनीय है क दो या दो से अ धक रा य के वधान–म डल ताव करके रा य सचूी म व णत कसी वषय पर संसद से काननू बनाने का अनरुोध कर सकत ेह। संसद वारा बनाया गया ऐसा काननू उ ह ंरा य म लाग ूहोगा िज ह ने ऐसी क है। अ य रा य भी अपनी वधानमंडल म ताव पा रत करके उसे वीकार कर सकत ेह। इस कार के को संसद ह संशो धत या समा त कर सकती है। कुछ वशेष वषय से स बि धत वधेयक रा य वधान मडंल म तभी तुत कये जा सकत ेह, जब उन पर रा प त क पवू अनमु त ा त कर ल जाए। इसी कड़ी म सं वधान वारा यह यव था भी क गई है क कुछ वधेयक रा य वधान मंडल वारा पा रत कर दये जाय, तब भी उ ह लाग ूतभी कया जा सकेगा उस पर रा प त क वीकृ त ा त हो जाए। रा य के रा यपाल को यह अ धकार है क वह कसी वधेयक

    को रा प त वचाराथ सुर त रख ले। संसद के पास रा य–सूची म ह त ेप करने के और भी तर के ह। सं धय तथा समझौत को लाग ूकरने व उ तरदा य व को नभाने के लए संसद कसी वषय पर काननू बना सकती है, भले ह वे वषय रा य सूची के अ तगत आते ह । अ तरा य स मेलन व सं थाओं वारा लये गये नणय को लाग ूकरने के लए भी संसद स पणू देश या उसके भाग वशेष के लए काननू बना सकती है। संवधैा नक ावधन के अनसुार रा य आपात क ि थ त म सं वधान प रवतन सधन कये बना ह देश का शासन एका मक हो जाता है। ऐसे म ससंद रा य सूची म

  • (15)

    न हत वषय पर काननू सकती है। रा य आपात के अ त र त े ीय आपात यानी रा य म संवधैा नक वफलता क ि थ त म भी वधान मंडल क शि तया ँसंसद को ा त हो जाती ह। रा य के रा यपाल के तवेदन पर रा प त उस रा य म घो षत

    कर सकता है। इन सब ताव के अ त र त अ य यव थाओं वारा संघ को ाथ मकता दान क है। कोई वषय– य द संघ व रा य दोन ह सू चय म उि ल खत है, तथा दोन म कसी कार का वरोध है तो संघ को ाथ मकता द जायेगी।

    1.5 के रा य म शास नक स ब ध संघीय यव था के लए आव यक है क संघ क इकाइय म पर पर सहयोग, सम वय, समायोजन व सह–अि त व क भावना भी होनी चा हए। ऐसी भावना य द वत: फूत एव ं वे छा से उ प न हो तो यह े ठ ि थ त है। ले कन कसी भी तर

    पर य द ऐसी यव था बनाने म क ठनाई आये तो उस ि थ त से नपटने के लए संवधैा नक ावधान होने ेय कर ह। भारतीय सं वधान के 11 व भाग के अ याय 2 म अनु छेद 256 से 263 तक संघ व रा य के म य शास नक स ब ध क ववेचना क गई है। सं वधान क आधारभूत कृ त के अनु प संघ को ाथ मक तथा बेहतर ि थ त देने का यास कया गया है। फलत: रा य के ऊपर संघीय नयं ण के क तपय उपकरण क या या सं वधान म द गई है। इसम से क तपय मह वपणू ावधान का सं त ववरण यहा ँ दया जा रहा है।

    1.5.1 रा यपाल क नयिु त एव ं वमुि त

    रा यपाल रा य म रा प त का त न ध होता है। रा यपाल क नयिु त धानमं ी क सलाह पर क जाती है। स ा त प म रा यपाल रा य सरकार का नाम मा का धान है, पर वष के अनभुव से पता चलता है क वह के य सरकार के त न ध

    के प म काय करता है। सं वधान वारा ा त ववेका धकार उसक ि थ त को मजबतू बनाते ह व रा य म अ धकार योग के अवसर दान करत े ह। रा प त शासन के दौरान रा यपाल क वा त वक शि तया ँपया त प से बढ जाती ह। इस स ब ध म स व तार ववेचन आगे कया जायेगा।

    1.5.2 के वारा रा य को नदश देने क यव था

    भारतीय सं वधान के अनु छेद 256 म यह उ लेख कया गया है क रा य सरकार कायपा लका शि त का योग इस कार कर क िजससे ससंद य काननू क अनपुालना हो एव के क कायपा लका शि त के माग म वरोध न हो। इस ावधान क अनपुालन हेत ुके सरकार रा य सरकार को नदश दे सकती है। अनसुू चत जा त व जनजा तय के क याण संबधंी योजनाओं क कायाि व त, ाथ मकता के तर पर मातभृाषा म श ा दान करने, सामा य संकट, संवधैा नक संकट व व तीय सकट आ द कुछ ऐसे वषय ह िजनके स ब ध म के सरकार रा य सरकार को नदश दे

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    सकती है। सं वधान के अनु छेद 257 के अनसुार रा य व सै नक मह व के संचार साधन के नमाण व रखरखाव के लए तथा रा य क सीमा के रेल पथ क सुर ा उपाय करने के लए संघ रा य को नदश दे सकता है।

    1.5.3 के वारा रा य के काय को सीधे हण करना

    कुछ प रि थ तय म संघ सरकार रा य के काय को सीधे हण कर सकती है, यथा–कसी रा य म सं वधान के असफल होने पर रा प त रा य शासन अपने हाथ म ले सकता है तथा संसद को रा य सूची के वषय पर काननू बनाने के नदश दे सकता है। इसके अ त र त के सरकार को य द व वास हो जाए क कोई रा य सरकार संघीय नदश के अनकूुल काय नह ंकर रह है तो रा प त उ चत कायवाह कर सकता है। वदेशी सरकार के साथ कये गये समझौत के या वयन के लए भी संघ रा य के कुछ काय को हण कर सकता है।

    1.5.4 संघीय काय रा य को स पना

    संघीय काय को रा य को सशत अथवा बना शत स पने का ावधान भी सं वधान वारा कया गया है। ऐसी ि थ त म संघ वारा स पे गये काय का अ त र त यय

    संघ को ह वहन करना होता है। इसी भाँ त रा य काय को सशत या बना शत संघ को स पा जा सकता है। सं वधान का अनु छेद 261 संघ तथा येक रा य के सावज नक काय , अ भलेख और या यक काय को सारे देश म मा यता दान करता है। इस संबधं म शत संसद य काननू वारा नधा रत क जाती ह। य य प रा य म सावज नक यव था बनाये रखने तथा पु लस बल ग ठत करने का दा य व रा य सरकार का है, ले कन संघ का भी दा य व है क वह येक रा य क बाहय आ मण व आंत रक उप व क ि थ त म उसे सुर ा दान करे। इस संवधैा नक यव था का योग करत े हु ए के ने कई बार रा य से सलाह कये बना के य रजव पु लस को रा य म तैनात कया है। इस स ब ध म सं वधान के 42वे सशंोधन वारा के ने यह अ धकार ा त कर लया है क ऐसा कदम उठात ेसमय रा य क

    सलाह लेना आव यक नह ।ं इस स ब ध मे अनु छेद 257 म अ त र त ावधान अनु छेद 257 –ए के प म कया गया। साथ ह संघ सूची म वि ट 2 –ए जोड़ी गई। सं वधान के 44व संशोधन वारा अनु छेद 257 –ए को नर त कर दया गया है। संघ वारा रा य को बा य आ मण से सुर ा ावधान अमर क सं वधान म भी कया गया है। (अनु छेद 4, धारा 4) ले कन संघ ऐसा कदम रा य क ाथना पर ह उठाता है जब क भारत म सं वधान के अनु छेद 355 के अनसुार क रा य क इ छा के व भी ऐसा कदम उठा सकता है।

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    1.5.5 अ खल भारतीय शास नक सेवाएं

    अ खल भारतीय सेवाएँ भारत म टश शासन क वरासत ह। भारतीय सं वधान म अ खल भारतीय सेवाओं, के य सेवाओं एव ं रा य सेवाओं सभी का ावधान है। अ खल भारतीय सेवाओं के सद य संघ, रा य एव ं के शा सत देश के उ च शास नक पद का उ तरदा य व सभंालत ेह। भारतीय शास नक एव ंभारतीय पु लस

    सेवा को अ खल भारतीय सेवाओं का दजा सं वधान के अि त व म आने के साथ ह मल गया। भ व य म भी संघीय वच व को बनाये रखने के उ े य से यह यव था क गई थी क य द रा यसभा उपि थत, एव ंमतदान करने वाले सद य के दो– तहाई बहु मत से यह ताव पा रत कर देती है क रा य हत म अ खल भारतीय सेवाओं के नमाण म अ य सेवा े णय क आव यकता है तो ससंद य काननू के वारा अ य सेवा े णय क क जा सकती है। रा यसभा ने इस कार के ताव दो बार 1961 तथा 1965 म पा रत कये, िजनके भारतीय अ भयां क सेवा, भारतीय वन सेवा एव ंभारतीय च क सा व वा य सेवा क रचना का ावधान गया। भारतीय सं वधान म अनु छेद 312 के अ तगत अ खल भारतीय सेवाओं का गठन कया जा सका है– शास नक सेवा, भारतीय पु लस सेवा एव ंभारतीय वन सेवा।

    अ खल भारतीय सेवाओं के गठन से न न ल खत सु भाव ह: ', 1. अ खल भारतीय सेवाओं के सद य क भत , नयिु त, अनशुासन, सेवा क शत,

    पद– वमुि त आ द क शि तया ँके य सरकार के पास होने के कारण रा य म काय कर रहे सेवाओं के अ धका रय पर रा य सरकार अनु चत दबाव नह ंडाल सकती।ं अत: ये अ धकार अपने कत य का नवाह न प ता से कर सकत ेह।

    2. अ खल भारतीय आधार पर खुल तयो गता के मा यम से चय नत इन सेवाओं के सद य क यो यता उ च को ट क होती है।

    3. इन सेवाओं के सद य य य प रा य म कायरत होते ह, क त ु इनम से, अ धकांश को के सरकार म भी कुछ वष काय करने का अवसर ा त होता है। के सरकार म काय करते समय इनका ि टकोण व ततृ एव ं यापक बनता है। इस अ खल भारतीय प र े य का लाभ रा य सरकार को भी ा त होता है।

    4. इन सेवाओं के सद य म वक सत अ खल भारतीय ि टकोण सारे भारत म शास नक तं के प र े य म वहृत ्सम पता लाने म सहायक होता है।

    5. रा य एकता एव ंअखंडता था पत करने म भी ये सेवाय मह वपणू भू मका नभाती ह।

    6. इन सेवाओं के मा यम से के –रा य एव अ तरा यीय स ब ध मलता है य क के एव ंरा य सरकार म कायरत अ खल भारतीय सेवाओं के सद य पार प रक एव ंअ त या से सहयोगा मक वातावरण बनाने म सहायक होत ेह।

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    यह भी स य है क इन अ खल भारतीय सेवाओं के मा यम से रा य सरकार पर के सरकार का नयं ण परो प से बढ़ जाता है। यह कारण है क इन सेवाओं क द तापणू उपलि ध के बावजदू रा य सरकार इनका व तार नह ंचाहती।

    1.5.6 अ तरा यीय प रषद

    रा य के म य सम वय, वचार– व नमय, पर पर ववाद के नपटारे आ द के अ तरा यीय प रषद क थापना क गई है। ये प रषद रा य एकता तथा रा य के म य सम वय व सहयोग था पत करने म मह वपणू भू मका का नवाह कर सकती ह।

    1.5.7 के य वकास काय एव ंअनदुान

    समय–समय पर के य सरकार व भ न वग , वशेषतया नबल वग के क याण के लए क याणकार योजनाएँ न पत एव ंघो षत करती रहती ह। इन योजनाओं म यय होने वाल रा श पणूतया अथवा अंशत: के सरकार ह दान करती है। इन योजनाओं के या वयन के मापद ड के सरकार वारा ह नधा रत होते ह। िजन योजनाओं म के सरकार क व तीय भागीदार रहती है उनम के सरकार वारा न पत मानद ड एव ंमानक का पालन करना रा य सरकार के लए आव यक होता है। इस कार से क याणकार योजनाएं के –रा य स ब ध को एक सहयोगा मक प दान

    करती ह।

    1.5.8 नवाचन आयोग

    सं वधान वारा न मत नवाचन आयोग के य सं था है क त ुइसका दा य व रा य है। रा य संसद एव ंरा यीय वधान म डल एव ं वधान प रषद के चुनाव को कराने का उ तरदा य व चुनाव आयोग का होता है। चुनाव के दौरान रा य के चुनाव तं , सम त िजलाधीश स हत, चुनाव आयोग के नदशन म ह काय करत ेह। के –रा य सहयोग का यह एक उ लेखनीय उदाहरण है।

    1.6 के व रा य म व तीय स ब ध भारतीय सं वधान के तथा रा य के व तीय ोत के बारे म प ट नदश देता है, तथा राज व वतरण क यव था करता है। मु य आयकर तथा शु क से होती है। इस दशा म संघ तथा रा य दोन को पथृक्–पथृक् अ धकार दये गये ह। संघ सरकार को उन वषय पर कर लगाने का अ धकार है िज ह संघ सूची म कराधान के लए वीकृत कया गया है, यथा–कृ ष आय को छोड़कर अ य आय पर कर, सीमा शु क व नयात शु क, त बाकू तथा भारत म न मत एव ंउ पा दत व तुओं पर कर, नगम कर, कृ ष यो य भू म को छो कर अ य स पि त व उ तरा धकार पर कर, वदेशी ऋण, लाट रया ँआ द। इसी कार रा य सरकार को रा य सूची के अ तगत कराधान के लए वीकृत वषय पर कर लगाने का अ धकार है, जैसे– भू म कर, कृ ष

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    आय पर कर, कृ ष यो य भू म के उ तरा धकार पर शु क तथा कृ ष यो य भू म पर स पि त शु क, वाहन चु ंगी कर, वला सता क व तुओं पर कर आ द। उपयु त यव था से यह तीत होता है क के व रा य म राज व का प ट वभाजन है तथा दोन अपने– अपने े म हु ई आय का उपयोग करने को वतं ह। रा य म कर यो य वषय के बटंवारे को देखकर प ट हो जाता है क रा य के आय ोत काफ सी मत ह तथा उ ह अपने अि त व व वकास काय के या वयन के लए काफ सीमा तक के वारा द त अनदुान व ऋण पर नभर रहना पड़ता है। अत: सं वधान इस बात क भी यव था करता है क संघ सरकार वारा लगाये जाने वाले कर तथा शु को से ा त होने वाल आय को कुछ मा ा म रा य को भी दया जाए। यह यव था कई कार से क गई है: कुछ कर संघ वारा लगाये जात े ह पर िज ह रा य एक त करत े ह तथा

    व नयोिजत करत ेह, जैसे– औष धय तथा शासन पर शु क संघ वारा लगाये जाने वाले तथा वसूल कये जाने वाले कुछ शु क ह िज ह

    रा य को दे दया जाता है, यथा–रेल, समु या वाय ु वारा जाने वाल व तुओं पर सीमा शु क।

    संघ वारा लगाये व वसूल कये जाने वाले शु क िज ह संघ व रा य म बाँट दया जाता है, यथा–कृ ष आय को छो कर अ य आय कर।

    उ पादन शु क (औष ध व साधन साम ी के कुछ भाग के अ त र त) से होने वाल आय संघ सरकार रा य सरकार को दे सकती है। इन सभी राज व वतरण के स ा त को तय करने का अ धकार संसद को है।

    संघ क सं चत न ध से रा य को अनदुान देने क भी यव था क गई है। यह रा श संसद वारा नधा रत क जाती है। के के अनमुोदन पर रा य वारा न पा दत वकास काय के लए यह रा श दान क जाती है। यह रा श व भ न रा य के लए भ न– भ न हो सकती है।

    सं वधान ारा यह यव था क गई है क संघीय उ े य क पू त के लए संसद अनु छेद 269 तथा 270 म उि ल खत शु क पर अ धकार लगा सकती ह। यह आय भारत क सं चत न ध मे जमा होती है। रा य म इसम ह सा ा त नह ंहोता। इसी सं चत न ध क सुर ा के आधार पर संघ सरकार वदेश से तथा देश म ऋण ले सकती है। इसी कार क यव था रा य सरकार के लए भी क गई है। वे अपनी सं चत न ध क सुर ा के आधार पर देश म ऋण ले सकती ह, िजसक सीमा मया दत है। रा य सरकार को वदेश से ऋण लेने का अ धकार नह ं है। संघ व रा य के म य सहज व तीय स ब ध को अंजाम देने के लए सं वधान व त आयोग क थापना क यव था करता है। रा प त त पाँच वष प चात ् व त आयोग क थापना करता है िजसम अ य स हत चार सद य होत ेह। इन सभी क नयिु त रा प त वारा क जाती है। यह आयोग समय–समय पर संघ व रा य के म य कर से होने वाल आय का वभाजन, भारत क सं चत रा श म से दये जाने

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    वाले अनदुान के स ब ध म स ा त नमाण तथा व तीय यव था को सु ढ़ करने के लए परामश देता है िजसे सामा यतया संघ सरकार वीकार कर लेती है। व तीय आपात ि थ त म रा प त रा य क व तीय वतं ता को सी मत कर सकता है। रा य वधान मंडल वारा पा रत व त वधेयक को वचाराथ अपने पास मँगवा सकता है। इन ावधान वारा नि चत प से संघ रा य के व त पर पया त नयं ण रखता है। नयं क व महालेखा पर क के मा यम से सारे देश के व त शासन पर रखी जाती है। इनक नयिु त रा प त वारा क जाती है। रा य के लेखा पर क इसी अ धकार के त न ध ह।

    1.7 के –रा य स ब ध एवं नयोजन भारत म नयोजन का आधार रा य है। स पणू रा को इकाई मानत ेहु ए वकास का ल य रखा गया है। यह काय योजना आयोग वारा कया जाता है। योजना आयोग क थापना तथा संगठन पर ि टपात करने से प ट होता है क यहा ँभी संघीय वच व

    को बनाये रखने क यव था क गई है। इसे सं वधानेतर तथा वधैा नक सं था के प म था पत कया गया। आशा क गई थी क यह परामशदा ी तथा सम वयकार सं था के प म काम करेगी। पर ल बे समय क योजना आयोग क काय प त ने स कर दया क यह मह वपणू तथा शि तशाल इकाई के प म काम कर रह है। योजना आयोग का पदेन अ य धानमं ी होता है। के य सरकार के व त, र ा तथा क तपय अ य मं ी एव ं वशेष इसके सद य होते ह। योजना आयोग एक ा प तैयार करता है िजसके आधार पर ह रा य अपनी योजनाएं बनत े ह, तथा योजना आयोग के सम वचाराथ तुत करत े ह। नणय लेने के पहले आयोग रा य के स बि धत वभाग से परामश करता है। थानीय वकास के लए भी योजना स ा त नमाण करता है। उ लेखनीय है क रा य म था पत नयोजन मंडल लगभग नि य ह। वसेै भी रा य सरकार के वय ं के संसाधन के अभाव म वे अपनी वाय त योजनाएं नह ंबना पात ेह। अत: योजना आयोग के रा य क सौदेबाजी क

    शि त कम हो जाती है। सामुदा यक वकास काय म के मा यम से भी संघीय अ भकरण को पया त शि त ा त होती है। कुछ े ऐसे भी ह जो रा य सूची म ह। पर रा य ाथ मकताओं को यान म रखत ेहु ए संघीय अ भकरण रा य अ भकरण को आव यक नदश देते ह तथा

    अपने अ धका रय वारा काय म क समय–समय पर जाँच व समी ा करात ेह। यह यव था के करण को बढ़ावा देती है। नयोजन के अनु प वकास काय म को काय प म प र णत करने के लए धन क आव यकता होती है। रा य के व तीय साधन सी मत होत े ह। अत: उ ह अपने वकास काय म हेत ुके य सहायता पर नभर रहना पड़ता है। संघ रा य को अपने अनकूुल योजनाय वीकार करने के लए ो सा हत करता है। रा य भी अ धक अनदुान क उ मीद से के के अनु प चलने के लए बा य होत ेह। अनदुान भी दो कार के

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    होत ेह – थम काननूी अनदुान जो बना आयोग क सफा रश पर दये जात ेह, दसूरे, ववेकाधीन अनदुान जो योजना आयोग के सफा रशो पर दये जाते ह, इनक मा ा भी अ धक होती है। ववेकाधीन अनदुान सशत होत े ह, तथा रा य क बड़ी वकैा सक योजनाय इ ह ंअनदुान से परू होती ह। इस यव था से नि चत प से के का ह त ेप बढ़ जाता है। योजना आयोग के मह व व नणायक भू मका के कारण ह उसे भारतीय संघ क सव च के बनेट कहा गया है। य य प भारत के पहले धानमं ी ी जवाहरलाल नेह इसे परामशदा ी नकाय मानत ेथे। उनके अनसुार रा य के संदभ म इसके वारा कह गई येक बात सोच– वचार कर तथा रा य के साथ हु ए समझौत ेका प रणाम है। पर अशोक चंदा इस मत से सहमत नह ं ह। उनके अनसुार के य कायपा लका के ो साहन व समथन से यह इतना मह वपणू नकाय बन गया है क उसने संवधैा नक व त आयोग क स ता को अ वीकार कर दया। यह भी क योजना आयोग ने भारत म जातं व संघवाद दोन को मात दे द है। के. स थानम का मानना है क नयोजन ने संघा मक यव था को त था पत कर दया है तथा हमारा रा बहु त से मामल म लगभग एका मक यव था क भाँ त ह काय कर रहा है। व तुत: यह एक–प ीय मत है। योजना आयोग रा य पर अपने मत लादने का यास नह ंकरता बि क के व रा य सरकार के लए संयु त प से काम करता है। यह भी उ लेखनीय है क पछले दो–तीन वष से योजना आयोग अ धक स य नह ं है। उदार करण के नवीन संदभ म योजना आयोग का मह व कुछ कम हुआ तीत होता है। दसूर ओर रा य वकास प रषद, िजसम के य मं ीम डल के क तपय सद य, योजना आयोग के सद य एव ंरा य के मु यमं ी शा मल ह, अपनी संघीय कृ त से के –रा य स ब ध म स तलुन था पत कर सकती है, क त ु इसक बठैक भी नय मत नह ंहोती।ं कुल मलाकर योजना यव था ने के क शि तय को बढ़ाने म सहायता ह क है।

    1.8 के व रा य के म य या यक स ब ध भारत म एक कृत या यक यव था को अपनाया गया है जो भारत को इस े म व श टता दान करती है। रा य के उ च यायालय अपने े म सव च है, क त ुसाथ ह उ च यायालय के नणय के व अपील सुनने और उ ह नदश देने का अ धकार सव च यायालय को है। अ य संघीय यव थाओं तथा अमे रका तथा आ े लया म सव च यायालय रा य के यायालय वारा दये गये नणय के व अपील नह ंसुनत।े वहा ंरा य यायालय भी अपनी शि तय का योग वाय त प म करत े ह िजस पर संघ का नयं ण नह ं होता। इन देश म संघीय यायालय का े ा धकार सं वधान के ावधान , रा य के म य उ प न ववाद तथा संघीय संसद वारा बनाये गये काननू तक सी मत है।

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    भारतीय एक कृत या यक यव था म सव च यायालय कसी रा य वधान मंडल वारा बनाई व ध क वधैता पर ण कर सकता है। रा य के उ च यायालय भी

    संसद वारा बनाई गई व ध का पर ण कर सकत ेह। ऐसी या यक यव था को एक पता देने के लए क गई है। सव च यायालय अपील का उ चतम यायालय है। रा य म उ च यायालय के यायाधीश क नयिु त रा प त वारा क जाती है। सव च यायालय के मु य यायाधीश क सलाह पर उ च यायालय के यायाधीश को दसूरे रा य म थाना तरण भी कया जा सकता है। उ लेखनीय है क दो या दो से अ धक रा य के लए एक ह उ च यायालय क थापना संसद वारा क जा सकती है। उ च यायालय के यायाधीश क वमुि त म भी रा य के रा यपाल का ह त ेप नह ं है। उ ह हटाने का अ धकार रा प त को है। संसद के दोन सदन म उपि थत सद य के दो– तहाई बहु मत से ताव पा रत करने के प चात ्उ ह अपने पद से रा प त वारा हटाया जा सकता है।

    1.9 के –रा य स ब ध: सं वधान संशोधन के संदभ म सं वधान संशोधन के लए व भ न यव थाओं म भ न– भ न प तया ँअपनाई जाती ह। संघा मक यव था म रा य का थान मह वपणू होने के कारण उ ह भी इस

    या म भाग लेने का अ धकार होता है। अमे रका म रा य को सं वधान संशोधन के लए पहल करने का अ धकार है। भारत म रा य क ि थ त अधीन थ जैसी है। के को तुलना मक प से अ धक शि तशाल बनाने का यास कया गया है। सं वधान संशोधन के े म भी इसी स ा त के अनु प यव था क गई है। यहा ंसं वधान संशोधन के लए रा य को पहल करने का अ धकार नह ं है। सामा यतया ससंद के दोन सदन के एक– तहाई बहु मत से सं वधान संशोधन वधेयक पा रत कया जा सकता है। त प चात ्रा प त क वीकृ त लेनी आव यक है तभी संशोधन मा य होता है। कुछ े ऐसे होत ेह जहा ँआधे से अ धक रा य के समथन के प चात ्ह सशंोधन भावी हो सकता है, यथा–संघ तथा रा य क कायपा लका शि त का े , रा प त के नवाचन क या, संघीय यायपा लका व रा य के यायालय से स बि धत ावधान आ द। यह वषय सूची प ट करती है क रा य क सहम त उ ह ंसं वधान संशोधन तक आव यक है जहा ँसंशोधन से वे भा वत होते ह।

    1.10 संघ–रा य स ब ध: टकराव के मु े राजनी त के े म स ता के के करण व अ धका धक ा यता सदैव संघष का कारण रहा है। वतं ता के तुर त बाद के व रा य म ववाद के मु ेअ धक नह ंउठे थे। के व रा य म समान स ा त वाले एक ह दल का शासन था, अत: थोड़ ेबहु त मतभेद उठत ेभी थे तो आपसी सहम त से शा त हो जात े थे। 1967 के बाद के म तो कां ेस ह शासक दल रह ले कन रा य म दसूरे राजनै तक दल स ता म आये िज ह ने वतं या गठब धन सरकार बना । फलत: सै ाि तक मतभेद तो प ट

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    था ह , जो तनाव के ब द ुथोड़ ेथे या दबे हु ए थे वे प ट प से उभर कर सामने आ गये। पछले तीन दशक म के –रा य संब ध को कई उतार–चढ़ाव का सामना करना पड़ा है। रा य को शकायत है क रा यपाल जो क रा य म के का त न ध है तथा रा य को अपने अनभुव का लाभ देने के लए उ तरदायी है, का दु पयोग के अपने वाथ हत के लए बार–बार कया है। 1967 म पि चम बगंाल के रा यपाल धमवीर ने वधानसभा म भाषण के दो परैा ाफ नह ं पड़।े भाषण अजय मुखज के मं मंडल वारा तैयार कया गया था। सामा यतया रा यपाल उसे यथावत ह पढ़ता है। इसी कार उ ह ने कुछ शास नक े म भी ह त ेप कया जो अपर परागत था। 1973

    म बहार के रा यपाल आर.डी भ डारे के रा य राजनी त व शासन म अना धकार ह त ेप के कारण बहार कां से वधान दल के महास चव ने उ ह के वा पस बलुाये जाने क माँग क य क उनक उपि थ त शासन म न केवल बाधा उ प न कर रह थी बि क रा य के लोग के हत का भी हनन कर रह थी। व तुत: रा यपाल क नयिु त ह मनमानीपणू रह है। रा यपाल क नयिु त से पवू स बि धत रा य के मु यमं ी से सलाह लेने क पर परा का नवाह अ धकांशत: नह ंकया जाता। रा यपाल ने य द के के नदशानसुार काम नह ं कया तो समय से पवू हटा दया गया। रा यपाल का योग रा य म वप क सरकार को अलोकतां क तर के से गराने के लए कया गया। रा यपाल को इस लए क तपय सू म के का एजे ट कहा गया है। माना क सभी रा यपाल के स ब ध म यह आ ेप उ चत नह ंहै, क त ु फर भी यह प ट है क कई बार रा यपाल ने के के राजनी तक दबाव म जो नणय लये उससे उनके पद क ग रमा पर आँच पहु ँची है। रा य म के वारा अ सै नक बल का योग व उसक प त भी शकायत का बड़ा कारण रह है। सामा यत: अ –सै नक बल का योग रा य क ाथना पर रा य म शां त बहाल करने के लए कया जाता है ले कन यवहारत: इसका योग के ने मनमाने तौर पर कया। 1968 म के सरकार के कमचा रय के हड़ताल पर जाने पर के य सुर ा बल को केरल म तैनात कया गया िजसका वहा ँ के त काल न मु यमं ी ी ई.एम.एस. नं बू पाद ने वरोध कया। 1968 म पि चम बगंाल के गहृमं ी ी यो त बश ुने भी बना आव यकता के तथा ाथना के के य सुर ा बल क तैनाती पर आ ोश जा हर कया था। इन शकायत से बचने के लए काननू व यव था को समवत सूची म शा मल करने के बारे म गभंीरता से वचार होने लगा। आपातकाल म 42वे सं वधान संशोधन वारा के को अ धकार ा त हो गया था क वह के य सुर ा बल तथा सीमा सुर ा बल को देश म कह भी तैनात कर सकता है। य य प के सरकार इस अ धकार का योग सामा यतया स बि धत रा य सरकार से वचार– वमश के प चात ्ह करती है। संघ वारा अनु छेद 356 का या न रा य म रा प त शासन लाग ूकरने के अ धकार का योग मनमाने व असंवधैा नक तर के से

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    कया गया है। व तुत: रा य क वरोधी दल क सरकार को गराने के लए इस संवधैा नक ावधान का दु योग कया गया। अब तक एक सौ से भी अ धक बार रा य म रा प त शासन लाग ू कया जा चुका है। राज थान म अब तक चार बार रा प त शासन लाग ू कया जा चुका है। 1984 मे आ देश म रामाराव सरकार, 1987 म पजंाब म सुरजीत सहं बरनाला सरकार, 1991 म त मलनाडु म क णा न ध सरकार को बखा त करके रा प त शासन लाग ूकर दया गया। दस बर, 1992 म इकटठे राज थान, म य देश व हमाचल देश क सरकार को गराना अपने आप म इ तहास है। य य प ऐसा नह ंहै क अनु छेद 356 का उपयोग हर समय गलत ढंग से ह कया गया हो। पजंाब तथा क मीर म इसका उपयोग सुर ा आव यकताओं व राजनी तक ि थरता के लए कया गया है। क त ुएक ावधान का कई बार दु पयोग उसके त शंका पदैा कर देता है। इसी कारण 1998 के संसद य चुनाव के प चात ्इस बात पर बल दया जा रहा है क अनु छेद 356 का दु पयोग बदं कर दया जाए चाहे इस हेत ुसं वधान का संशोधन ह य न करना पड़।े 1999 के आर भ म बहार म काननू एव ं यव था क सम या को यान म रखत ेहु ए रा प त शासन क घोषणा क गई, क त ु रा यसभा म इस ताव को समथन हेत ु बहु मत न मलने क संभावनाओं को देखत ेहु ए, इस घोषणा को कुछ ह स ताह म नर त कर दया गया। रा य सरकार को यह भी शकायत है क व तीय साधन पर नयं ण तथा योजना आयोग के मा यम से के सरकार रा य पर नर तर दबाव बनाये रखती है तथा इन मा यम से रा य क है सयत अधीन थ जैसी हो गई है। स ा त प म के व रा य म आय ोत क पथृक् यव था है पर यावहा रक प म व तीय संतुलन के क ओर झुका हुआ है। समय के अ तराल म नयम व काननू म प रवतन संशोधन करके आय के ोत पर धीरे– धीरे के ने क जा जमा लया है। अनदुान का बटंवारा भी यायो चत व रा य क आव यकतानसुार न होकर शीष स ताधा रय क इ छा पर यादा नभर है। जहाँ तक योजना आयोग क का�